नई पुस्तकें >> जो विरोधी थे उन दिनों जो विरोधी थे उन दिनोंराजकुमार कुम्भज
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राजकुमार कुम्भज की कविताएँ
एक दिन होगा
एक दिन होगा
जबकि प्यास के बराबर पानी होगा
और ज़रूर होगा
एक दिन होगा
जबकि भूख के बराबर रोटी होगी
और ज़रूर होगी
एक दिन होगा
जबकि आसमान के बराबर छत होगी
और ज़रूर होगी
यह बात ज़रूर दीग़र और मामूली हो सकती है
इस संसार में
कि तब मैं रहूँगा या नहीं ?
मगर,
यह सुनिश्चित है कि एक दिन होगा
हरे पत्तों पर सुबह-सुबह ओस जैसा
जो,
सूर्य-किरणों के साथ-साथ तत्काल
उड़ जाने को बेताब होगा
सचमुच एक दिन होगा कि जिस दिन
जितना सपना होगा, उतना ही सच होगा
और उतनी ही होंगी थरथराहटें।
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